ध्यान कैसे करें, ध्यान की विधि - How to Meditate (Techniques) in Hindi

तन और मन के स्वास्थ्य के लिए ध्यान और योग सबसे अच्छे उपाय हैं. दुनिया की सभी प्रसिद्ध और महान हस्तियों ने, प्राचीन और आधुनिक काल में इनका पालन करके, इनके लाभ और महत्व को स्वीकारा है. आजकल ध्यान सिखाने के कई केंद्र है, संस्थाएं हैं जो कि कई अलग अलग तरीको से ध्यान करना सिखाते हैं.

ध्यान की सभी विधि कुछ बेसिक समानताएं हैं, जो कि इस बात की ओर इशारा करती हैं कि सभी क्रियाओं का मूल एक ही है. इसलिए सभी क्रियाएँ अच्छी है. नियम पूर्वक ध्यान करने से सभी तरीके फलदायी सिद्ध होते है.

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सरल जीवन शैली का अनुसरण – Follow simple lifestyle

सात्विक भोजन करना, शारीरिक स्वच्छता का पालन, सकारात्मक विचार रखना और सद्गुणों का पालन मन में शांति, सुकून का अनुभव देता है जो कि ध्यान के लिए मानसिक स्थिति बनाती है. सभी ध्यान क्रियाए इनके महत्व को स्वीकार करती है.

ध्यान का समय – Best time for meditation

सुबह 3 बजे से 6-7 बजे तक का समय और रात्रि 10 बजे के बाद का समय ध्यान के लिए उपयुक्त माना गया है. इस समय वातावरण में शांति रहती है, व्यवधान कम होते है. ध्यान क्रियाओं के अनुसार यह समय मानसिक शक्तियों के विकास के लिए सर्वोत्तम माना गया है.

ध्यान का स्थान और आसन – Best Asana & place for meditation

ध्यान करने का स्थान आपका पूजा स्थल या कोई एकांत स्थान हो सकता है जहाँ साफ़ हवा का संचार हो. एक ही स्थान पर रोज़ ध्यान करना ध्यान मे प्रगति के लिए अच्छा माना जाता है. जमीन पर कम्बल या ऊनी आसन बिछाकर पालथी मारकर सुखासन या पद्मासन में बैठें. चटाई, कुश के आसन, रुई की गद्दी (कुशन) भी प्रयोग कर सकते है.

शरीर की स्थिति – Sit straight in meditation

ऑंखें बंद या अधखुली हों. पीठ सीधी होनी चाहिए, बैकबोन (मेरुदंड) एक सीध में हो. आराम पूर्वक बैठे, अकड कर या कोई ऐसी मुद्रा में न बैठे जिस से दर्द या असुविधा हो और मन विचलित हो. हाथ गोद में या घुटनों पर हों. जमीन पर बैठना संभव न हो तो एक चेयर (कुर्सी) पर सीधे बैठ सकते है पर पैर जमीन के संपर्क में न हों, पैर के नीचे कम्बल इत्यादि कुछ रख ले .

दीर्घ श्वांस या प्राणायाम – Do deep breathing or Pranayama

ध्यान की शुरुआत में प्राणायाम करना या थोड़ी देर तक लम्बी सांस धीरे धीरे लेना और धीरे धीरे छोड़ना दिमाग और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को बढाता है. इससे मष्तिष्क सक्रिय होता है पर विचारो की गति नियंत्रण भी संभव होता है. गुस्से में, आवेग में सांस जोर से चलती है जोकि मानसिक अस्थिरता पैदा करती और बढाती है. दुःख में, भय में सांस धीमी हो जाती है और तनाव, शोक को उत्पन्न करती है. गहरी और लम्बी सांस मन में शांति और सम भाव लाती है .

परमपिता या परमशक्ति के अंश के रूप में खुद को अनुभव करना – Becoming one with God

यह संसार उर्जा के अलग अलग रूपों की अभिव्यक्ति है .एक परम उर्जा या शक्ति का अस्तित्व माना गया है जोकि हमारा, सभी जीव जन्तुओ और प्राणियों का, इस ब्रह्माण्ड का नियमित संचालन कर रही है. हमें खुद को उस परम स्रोत के एक अंश के रूप में मानने से हमें अपनी असीम क्षमता और संभावनाओ का अनुभव होता है. साथ ही साथ ध्यान विधियों में उसी परमपिता से प्रार्थना की जाती है कि हमारा ध्यान सफल हो, हमें अपने वास्तविक स्वरुप का अनुभव हो.

विचारो पर नियंत्रण – Focus your mind

ध्यान विधियों में कहा गया है विचारो की गति को रोकें, विचार मुक्त होने का प्रयास करें. मन में विचार आयें तो उन्हें आने जाने दे उनमे खोये या उलझे नहीं. एक दर्शक की तरह विचारो के प्रवाह को देखें. उस विचार श्रृंखला में प्रवेश करके उसे बढ़ाएं नहीं. धीरे धीरे विचार की गति धीमी होती जाएगी और मन विचार मुक्त होने लगेगा. इसमें कितना समय लगेगा…यह आपके इच्छाशक्ति और प्रयास की गंभीरता पर निर्भर करता है. धैर्य पूर्वक, सकारात्मक सोच के साथ प्रयास करते रहें.

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एक बिंदु पर मन केन्द्रित करना – Focus on one thing

मन को विचारों से हटा कर एक बिंदु या एक विचार पर स्थिर करना होता है. लगभग सभी विधियों में कहा गया है कि आंख बंद करके भौहों (Eye brow) के मध्य बिंदु पर देखने का प्रयास करें और मन को केन्द्रित करें. कुछ विधियों में कहा गया है किसी रंग की कल्पना करें या बंद आँखों के पीछे अंधकार को प्रकाश में बदलता देखने की कल्पना करें. कुछ विधियों में मन को श्वांस की गति पर मन को एकाग्र करने के लिए कहा जाता है .

किसी मंत्र का जप, किसी गुरु, देव, आराध्य की छवि का स्मरण – Chant Mantra or affirmations

निरंतर विचार करते मन को एक बिंदु पर स्थिर करने के लिए ध्यान विधियों में कहा जाता है कि मन में अपने इष्ट देव या गुरु की छवि, रूप, भाव, गुणों के बारे में सोचे. मन में उनसे प्रार्थना करें. किसी मंत्र का जाप करें या कोई सकारात्मक विचार दोहरायें जैसे मै निर्भय हूँ, मैं स्वस्थ हूँ, मै परमशक्ति का अंश हूँ आदि. इन क्रियाओं का समन्वय मन को एकाग्र करने में सहायक होता है.

नियमित ध्यान – Meditate daily

जैसे हम रोज़ खाना खाते, सोते, दिनचर्या का पालन करते है. ध्यान भी नियमित होना चाहिए तभी ध्यान करने से होने वाले लाभों को हम अनुभव करते हैं. नियमित ध्यान विचार-कर्म-भावना में एक बैलेंस लाता है जोकि जीवन में सफलता और सुख लाता है. प्रतिदिन ध्यान करने से ध्यान की गहराइयों में उतरना संभव बनता है.

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ध्यान के फायदे – BENEFITS OF MEDITATION IN HINDI

  • ध्यान से मन और शरीर की चंचलता, अस्थिरता रूकती है.
  • ध्यान नर्वसनेस या घबराहट दूर करता है.
  • जीवन में नियम और अनुशासन का पालन संभव बनता है.
  • ध्यान करने से मानसिक शक्तियों का विकास होता है.
  • रचनात्मकता बढती है.
  • कोई समस्या या तनाव आप पर हावी नहीं होता है.
  • गुस्सा,चिडचिडापन दूर होने से नर्वस सिस्टम ( तंत्रिका तंत्र ) शांत रहता है.
  • ध्यान से स्वास्थ्य सुधरता है, हृदयगति सामान्य रहती है. ब्लड प्रेशर काबू में रहता है.
  • ध्यान से पढाई में मन लगता है. शारीरिक और मानसिक श्रम की क्षमता बढती है.

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