रंग
रंग तेरे इश्क़ का जब तेरे अहसास मुझें हँसाने लगे
रंग वो खुशी का जिसमें, मैं बिन वजह गुनगुनाने लगी
रंग वो बचाव का, जहां जिंदगी में अपरिपक्वता से
जो तू मुझें बचाने लगा
रंग उस समझदारी का जिसमें मेरे इरादों पर
नेकी तेरी मुझें आगे बढ़ाने लगी
रंग मेरी उन इच्छाओं का जो नासमझी मेरी पर
तेरी प्यार भरी अदाओं से मुझें पूरा करने लगीं
रंग एक जगह तेरे ना होने पर जो
कोने में बैठ मुझें उदास बनाने लगी
रंग तेरे आने के इंतज़ार का जो बेचैन भी करता पर
मीठी मुस्कान भी मेरे चेहरे पर लाने लगा
रंग लड़ाई में तेरे कड़वे शब्दों का जो कहर बन
मुझ पर बरस मेरे दिल को दर्द देने लगा
एक रंग उस दर्द का भी जो तेरे से नहीं सुनना था
पर सुन कर उसका गहरा डर अब मुझें सताने लगा।