दिल से

जो रिस्ता था ही नहीं उसे बचाने चला था मै
जाने अनजाने मै.. आग मै जलने चला था मै
क्या कसूर था मेरा ऐ जिन्दगी
बस सच्ची मोहब्बत करने चला था मै !
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