प्रियंका की कहानी, जिसे अपने पीछे की गाडी में एक मरीज को देख अपने व्यवहार पर बहुत अफ़सोस हुआ।
प्रियंका एक बहुराष्टीय कंपनी में काम करती थी। उसे ड्राईविंग बहुत पसंद थी। एक दिन वह अपने परिवार को लेकर लंबी ड्राइव पर निकली। मौसम सुहावना था और सबको बहुत मज़ा आ रहा था। कार में बच्चो के मनपसन्द गाने चल रहे थे।
पर लौटते हुए तेज़ बारिश होने लगी। सड़क पर जाम जैसा लगने लगा। जल्दी जाने के चक्कर में लोगो में सिग्नल तोडने सुरू कर दिए। लेकिन प्रियंका ट्रैफिक नियमो कक मानते हुए आराम से गाडी चला रही थी। तभी उसके पीछे एक काली गाड़ी जोर-जोर से हॉर्न बजने लगी। काली गाड़ी के लगातार हॉर्न बजाने से प्रियंका का सब्र टूटने लगा। उसने कई बार उसे पास देने की कोशिस भी की, पर किसी वजह से गाडी आगे नहीं निकल पा रही थी।
प्रियंका ने भी तय कर लिया की अब वह इस गाडी को पास नहीं देगी। कुछ ही देर में बारिश धीमी होने लगी, जाम हटने लगा और सड़क साफ़ होने लगी। पर प्रियंका ने जैसे काली गाड़ी को पास ना देने की ठान ली थी। काली गाड़ी जिधर मुड़ती, प्रियंका भी अपनी गाड़ी उधर मोड़ लेती । वह अगर बाये जाती, तो प्रियंका भी अपनी गाड़ी बाये मोड़ लेती। कुछ देर बाद प्रियंका से उसके पति ने कहा , निकल जाने दो बेचारे को। यह सुनकर प्रियंका ने काली गाड़ी को पास दे दिया।
जैसे ही वह गाड़ी प्रियंका की गाडी के बगल से गुजरी, उसने देखा की उस गाडी में पीछे की सीट पर एक शख्स खून से लथपथ एक लड़की की गोद में लेता हुआ है। प्रियंका और उसके परिवार वाले यह देखकर सन्न रह गए की वह सामने एक अस्पताल की एमरजेंसी में जा रही थी। उस रात प्रियंका और उसके पूरे परिवार को यह सोचकर नींद नहीं या पाई की ना जाने खून में लथपथ उस मरीज का क्या हुआ होगा, जिसकी गाडी को प्रियंका ने आगे नहीं जाने दिया।
हम अक्सर अपने अहंकार में दुसरो की परेशानी नहीं समझ पाते
दोस्तों कहानी आपको कैसी लगी कंमैंट में जरूर बताये। धन्यवाद जय हिंद