Lucknow University Students' Protest

लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए हो रहे आंदोलन और विश्वविद्यालय में हुई अन्य घटना में बलि चढ़े कई मासूम छात्र।

लखनऊ विश्वविद्यालय में बीते 15 दिनों से यूनिवर्सिटी प्रशासन के तानाशाही की वजह से जंग का अखाड़ा बन चुका है, जहां प्रति दिन कोई न कोई आंदोलन चल रहा है यह आंदोलन उन 24 छात्रों को यूनिवर्सिटी में प्रवेश न देने की वजह से हो रहा है।
इसी के प्रति एक छात्र नेत्री पूजा शुक्ला ने विश्विद्यालय परिसर में तीन दिन तक भूक हड़ताल भी किया था लेकिन इसके बावजूद यूनिवर्सिटी प्रशासन और पुलिस तक के कान में कोई जूँ तक नहीं रेंगी और छात्र गौरव त्रिपाठी धरना स्थल पर ही बेहोश गया जिसकी वजह से छात्र उग्र हो गए और विश्विद्यालय प्रशासन के अधिकारियों द्वारा गाली देने पर छात्रों ने हाथापाई कर दिया। जिसकी वजह से पुलिस ने लाठी चार्ज किया और तमाम लोगों को थाना ले गई जिस में कई निर्दोष को भी जेल जाना पड़ा,
इसी को लेकर पूजा शुक्ला और सुधांशु वाजपेयी ने एक प्रेस वार्ता की जिसमें कहा कि कुलपति हमारे आंदोलन को कुचलने के लिये खुद पर हमला करवाया ताकि हमारा आंदोलन खत्म कर सके।
लेकिन फिर यह लोग उन निर्दोष छात्रों की रिहाई के लिए आवाज़ उठाने से क्यों बच रहे हैं और जब तमाम छात्र संगठन उन निर्दोष छात्रों के रिहाई के लिए इन से हाथ मिलाने को तैयार है तो उनके हक़ में आवाज़ उठाने से क्यों क़तरा रही है क्या वजह है कि वह तमाम छात्र संघठनो का सहयोग निर्दोष छात्रों की रिहाई के लिए नहीं ले रही है।
और जब लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े तमाम संघठनो ने उन निर्दोष छात्रों की रिहाई के लिये छात्र संघर्ष मोर्चा बनाया तो यह उस में क्यों शामिल न हो कर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी फारसी विश्वविद्यालय के पांच छात्र के साथ मिल कर सादर नाम से एक अलग मोर्चा बनाने की इन्हें क्या ज़रूरत पड़ी।जिन 24 छात्रों का प्रवेश नही हो रहा वह भी इनके साथ क्यों खड़े नहीं है और अखबारों में झूठी बयान बाज़ी क्यों कर रही है कि हम उन 24 छात्रों के हक़ और हुक़ूक़ की लडाई लड़ रहे हैं।20180717121232.jpg

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