चंद्रग्रहण में किस राशि वालो को मिलेगा लाभ

*'चन्द्रग्रहण' :-
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चंद्रग्रहण - 27जुलाई 2018.
ग्रहण प्रारम्भ : 11. 54 PM.
ग्रहण समाप्त :03 49AM.
सूतक प्रारम्भ :02. 54PM.

यह चन्द्रगहण पुरे भारत में दिखाई देगा !
गुरुपूर्णिमा वाले दिन लगने वाला यह चंद्रग्रहण 235 मिनट तक रहेगा !
जप -तप दान के लिए विशेष महत्व रहेगा !
नोट :- इस दिन गुरुपूर्णिमा का उत्सव एवं सम्बब्धित गुरु -पूजन इत्यादि ग्रहण के सूतक प्रारम्भ (02. 54PM)होने से पहले ही संपन्न कर लेना चाहिए|

104 साल बाद बना हैं ये संयोग, सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण 27 जुलाई को|

27 जुलाई को सदी का सबसे लंबा चन्द्र ग्रहण लगेगा। चंद्र ग्रहण के शुरू होने से समाप्त होने तक का समय करीब 4 घंटे का होगा। बताया जाता है कि यह संयोग 104 साल के बाद बन रहा है। चंद्र ग्रहण 27 जुलाई की मध्य रात्रि में 11 बजकर 55 मिनट पर होगा और इसका मोक्ष काल यानी अंत 28 जुलाई की सुबह 3 बजकर 39 मिनट पर होगा। इस ग्रहण को कम से कम तीन महाद्वीपों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। चंद्रग्रहण के दौरान चांद लाल दिखता है जिसे ब्लड मून अर्थात रक्तिम चांद कहा जाता है। पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चांद जब धरती की छाया में रहता है तो इसकी आभा रक्तिम हो जाती है जिसे रक्तिम चंद्र या लाल चांद कहते हैं, ऐसा तब होता है जब चांद पूरी तरह से धरती की आभा में ढक जाता है।

इन देशों में दिखेगा चंद्रग्रहण :~

भारत के अलावा यह चंद्रग्रहण म्यांमार, भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान चीन, नेपाल, एशिया, अफ्रीका, यूरोप, अंटाकर्टिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका के मध्य और पूर्वी भाग में दिखाई देगा।

'ये काम न करें' :~


🏮: चंद्रग्रहण के समय गर्भवती महिलाएं घर से बाहर ना निकलें।
🏮: सुई व नुकीली चीजों का उपयोग करने से भी बचना चाहिए।
🏮: मान्यताओं के अनुसार, चंद्रग्रहण के दौरान लोगों को कुछ भी नहीं खाना चाहिए। अगर कुछ खाने का मन है, तो चंद्रग्रहण शुरू होने से पहले या फिर खत्म होने के बाद खा लें।
🏮: चंद्रग्रहण के समय लोगों को कोई भी शुभ काम नहीं करने चाहिए।
🏮: समय तक चंद्रग्रहण रहता है, उस वक्त तक भगवान की पूजा अर्चना
ना करें।
'इस सदी का सबसे लंबा ये चंद्रग्रहण 27 जुलाई को..||'

नई दिल्ली: विक्रमी संवत् 2075 में कुल पांच ग्रहणों का योग है। इनमें से 2 चंद्र ग्रहण और 3 सूर्य ग्रहण हैं। इन चारों ग्रहणों में से सिर्फ एक ग्रहण ही भारत में दिखाई देगा। यह है चंद्र ग्रहण, जो 27 जुलाई को लग रहा है। अगले हफ्ते लगनेवाला चंद्र ग्रहण खग्रास चंद्रग्रहण होगा|

खगोलविदों के मुताबिक, यह सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण होगा। आमतौर पर ग्रहण एक या डेढ़ घंटे की अवधिवाले होते हैं, लेकिन आगामी चंद्रग्रहण 4 घंटे तक रहेगा। कहा जा रहा है कि इतना लंबा चंद्रग्रहण इसके बाद सदी के आखिर तक दिखाई नहीं देगा। इससे पहले 16 जुलाई 2000 में ऐसा ग्रहण लगा था। यह संयोग ही है कि ग्रहणवाले दिन ही यानी 27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा भी है, इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है। चंद्रग्रहण की शुरुआत चंद्रमा के उदय के साथ रात 11 बजकर 54 मिनट से होगी। ग्रहण का मध्यकाल रात 1 बजकर 54 मिनट पर होगा और ग्रहण की समाप्ति 3 बजकर 49 मिनट पर होगी। इस तरह ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 55 मिनट की होगी|

यह चंद्र ग्रहण भारत के अलवा ऑस्ट्रेलिया, एशिया, अफ्रीका, यूरोपीय देशों व अंर्टाकटिका में भी देखा जा सकेगा। खगोलविदों के अनुसार, ग्रहणवाली रात मंगल भी पृथ्वी के बहुत नजदीक होगा और इस कारण चमकीला दिखाई देगा|

ज्योतिर्विदों के अनुसार, ग्रहण जिस राशि में घटित होता है उन राशि वालों पर अपना कुप्रभाव छोड़ता है।

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यह ग्रहण मिथुन, मेष, वृष, कर्क, सिंह, कन्या, धनु, कुंभ राशि वालों के लिए भी कष्टकारी हो सकता है
और तुला, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए यह शुभ होगा|
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इस दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक ही सीध में आ जाते हैं। ग्रहण के दौरान धरती की छाया चांद पर पड़ती है और यह धीरे-धीरे चांद को ढक लेती है। यह समय पूर्ण ग्रहण का होता है। इसके बाद ग्रहण की छाया कम होनी शुरू हो जाती है। ग्रहण समाप्त होने के समय को इसका मोक्ष काल माना जाता है|

इतना लंबा चंद्रग्रहण - साल 2099 तक भी दोबारा नहीं देख सकेंगे|
-करीब 4 घंटे तक चलेगा यह चंद्रग्रहण|
-रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगी शुरुआत और 3 बजकर 55 मिनट तक रहेगा ग्रहण|

-मंदिरों के द्वार बंद हो जाते हैं, इसलिए घर में ही भगवान का स्मरण करना चाहिए|
-गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान कर यथा शक्ति दान अवश्य देना चाहिए|
-घर में रखे हुए पानी में कुशा डाल देनी चाहिए, इससे पानी दूषित नहीं होता है|
-देवमूर्ति का स्पर्श, मल-मूत्र का त्याग भी नहीं करना चाहिए|
-ग्रहण के सूतक समय में भोजन नहीं करना चाहिए|

ग्रहण से 9 घंटे पूर्व सूतक काल आरंभ हो जाता है। सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्हें ग्रहण के दौरान घर के अंदर ही रहना चाहिए, ताकि उन पर ग्रहण की छाया न पड़े।

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