*दुखी रहने के कारण

  1. देर से सोना , देरी से उठना,
  2. लेन-देन का हिसाब नहीं रखना.
  3. कभी किसी के लिए कुछ नहीं करना.
  4. स्वयं की बात को ही सत्य बताना.
  5. किसी का विश्वास नहीं करना.
  6. बिना कारण झूठ बोलना.
  7. कोई काम समय पर नहीं करना.
  8. बिना मांगे सलाह देना.
  9. बीते हुए सुख को बार-बार याद करना.
  10. हमेशा अपने लिए सोचना.

" दिमाग ठंडा हो, दिल में रहम हो, जुबान नरम हो, आँखों में शर्म हो तो फिर सब कुछ तुम्हारा है "

उठिये
जल्दी घर के सारें, घर में होंगे पौबारे।

कीजिये
मालिश तीन बार, बुध, शुक्रवार और सोमवार।

नहाइये
पहले सिर, हाथ पाँव फिर।

खाइये
दाल, रोटी, चटनी कितनी भी हो कमाई अपनी।

पीजिये
दूध खड़े होकर, दवा पानी बैठ कर।

खिलाइये
आयें को रोटी, चाहें पतली हो या मोटी।

पिलाइये
प्यासे को पानी, चाहे हो जावे कुछ हानि।

छोडिये
अमचूर की खटाई, रोज की मिठाई।

करिये
आयें का मान, जाते का सम्मान।

जाईये
दुःख में पहले, सुख में पीछे।

भगाइये
मन के डर को, बुड्डे वर को।

धोइये
दिल की कालिख को, कुटुम्ब के दाग को।

सोचिये
एकांत में, करो सबके सामने।

बोलिये
कम से कम, कर दिखाओ ज्यादा।

चलिये
तो अगाड़ी, ध्यान रहे पिछाड़ी।

सुनिये
सभी की, करियें मन की।

बोलिये
जबान संभल कर, थोडा बहुत पहचान कर।

सुनिये
पहले पराएं की, पीछे अपने की।

रखिये
याद कर्ज के चुकाने की, मर्ज के मिटाने की।

भुलिये
अपनी बडाई को और दूसरों की बुराई को।

छिपाइये
उमर और कमाई, चाहे पूछे सगा भाई।

लिजिये
जिम्मेदारी उतनी, सम्भाल सके जितनी।

धरिये
चीज जगह पर, जो मिल जावें वक्त पर।

उठाइये
सोते हुए को नहीं, गिरे हुयें को।

लाइये
घर में चीज उतनी, काम आवे जितनी।

गाइये
सुख में राम को और दुःख मे सीताराम को।

सभी को राम राम जय श्री राम
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