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Shayri ... Direct from heart

एक आग मेरे सीने में आज भी है
कुछ अधूरी धड़कने कुछ अधूरे पल
कुछ एहसास के फ़साने कुछ वो अधूरे पेमाने
कुछ क़िस्से जो मुकम्मल हो ना सके
बस राहों पर इंतहा की आस में लगे रहे
एक तड़प उसकी मेरे जिस्म में आज भी है
उसकी हवालात का क़ैदी, mirza आज भी है
#tarun_ke_shabd