नमस्कार दोस्तों आशा करता हूं कि आप सभी लोग स्वस्थ और कुशल होंगे ओर अपने जीवन में सुख शांति से जीवन व्यतीत कर रहे होंगे।।।
दोस्तो आज मैं बताने जा रहा हु और फोटोज के द्वारा दिखाने भी जा रहा हु की किस तरह से पहाड़ो मै रह रहे लोगो की दिनचर्या और यहां के लोगो का अपने काम की प्रति कितना परिश्रम रहता हैं।।
दोस्तो यूं तो पहाड़ो का जीवन जीना काफी अच्छा रहता है क्यू की यहां शुद्ध हवा और पानी के साथ लोगो के साथ भी काफी अच्छे संबंध बने रहते है।।लेकिन यहां के घरेलू काम काज भी काम नहीं यू तो यहां सभी महीने कुछ ना कुछ काम होते रहते है लेकिन दोस्तो अक्टूबर ओर नोंबर यह दो महीने यहां काफी ज्यादा काम रहता है क्यू की इन दो महीनो मै यहां लोगो को अपनी फसल भी देखनी होती है और अपने पालतू जानवरों के खाने के लिए घास भी करना होता है जो की आने वाले कुछ महीनो के लिए जमा हो जाती है ।।
पहाड़ो मै महिलाओं का जीवन काफी परिश्रम भरा रहता है जो की सुबह जल्दी उठ कर अपने पहले घर के काम काज निपटा लेती है और फिर घास कटना फसल कटना कई प्रकार के काम करती है।।
पुरुषों का भी इसमें बहुत योगदान रहता है जो की महिलाओ के साथ अपना पूरा योगदान देते हैं ताकि जल्द से जल्द यह काम निपट चुके।।।
इसी के साथ मैं भी अपना पूरा योगदान देता हुए जब भी ऑफ़िस की छूटी होती है तो मैं भी घर आ जाता ही और अपने घर वालो का हाथ बडाता हूं।।।
यह जो फोटो आपको दिख रही हैं इसे हमारी लोकल भाषा मैं बिट कहा जाता है जो फसल मैं से दाना निकाल लिया जाता है बाकी घास जानवरो के काम आती हैं जिसे काट कर सुखाने के लिए खेत मैं इस तरीके से लगा दिया जाता हैं
यह जो दिख रही है वो है दाल जो की सोयाबीन है जो की काफी पोष्टिक मानी जाती हैं।
ओर यह रहा मै 🤣🤣🤣 खेत से दाल को घर को ले जाते हुए काफी भारी था यह लगभग 50 से 60 kg तक तो होगा ही इसका वजन कमर दर्द कर दी इसने घर पहुंचने तक 😆😆
यह हमारी माता जी जो की घास को पेड़ मैं इस तरीके से रखती है ताकि कोई बाहरी जानवर इस घास को खा ना सके वह इस घास को लगभग10.20.फिट उपर इस तरीके से बांधती हैं जिसे लोकल भाषा मैं लूटा कहा जाता हैं पर रखती हैं!।।img20211009163746.jpg
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