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(Haridwar images)
कुंभ मेला
नमस्कार दोस्तों आज से मैं अपने राज्य के बारे में कुछ आपके साथ साझा करता रहूंगा।
उत्तराखंड राज्य में 13 जिले हैं और दो मंडल है गढ़वाल मंडल और कुमाऊं मंडल।
गढ़वाल मंडल में 7 जिले आते हैं जो इस प्रकार है चमोली, पौड़ी, टिहरी गढ़वाल ,रुद्रप्रयाग, देहरादून, हरिद्वार और उत्तरकाशी और कुमाऊं मंडल में 6 जिले हैं जो कि इस प्रकार हैं अल्मोड़ा, नैनीताल ,बागेश्वर ,पिथौरागढ़, चंपावत, उधम सिंह नगर। उत्तराखंड को देव भूमि कहा जाता है ऐसा माना जाता है कि यहां देवी देवताओं ने निवास किया था जिस कारण उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है।
यहां भारत की सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी स्थित है जो पूर्ण रूप से भारत में है।
अन्य था K2 गोडविन ऑस्टन को भारत की सबसे ऊंची चोटी माना जाता है यह पाकिस्तान की अधिकृत क्षेत्र में स्थित है जिस कारण से पूर्ण रूप से भारत में शामिल नहीं माना जाता और एक अन्य चोटी है जो कि सिक्किम राज्य में स्थित है कंचनजंगा।
कंचनजंगा को भारत की सबसे ऊंची चोटी माना जाता है परंतु यह पूर्ण रूप से भारत में स्थित नहीं है इसका कुछ भाग भारत में स्थित है तो कुछ नेपाल में स्थित है।
आज मैं आपको जिला दर्शन में पहला जिला हरिद्वार के बारे में बताता हूं।
टॉम कारयट नामक एक यूरोपीय यात्री हरिद्वार आया था जिसने हरिद्वार को शिव की राजधानी कहां है।
हरिद्वार बिलव और नील पर्वतों के मध्य में गंगा नदी के दाहिने तट पर स्थित है।
पुराणों और संस्कृत साहित्य में हरिद्वार को गंगाद्वार, देवताओं का द्वार ,तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार, चारों धामों का द्वार ,स्वर्गद्वार, मायापुरी या माया क्षेत्र आदि नामों से संबोधित किया गया है। शिव के उपासक जो केदारनाथ पर जाते हैं वह शिव से जोड़ते हुए हरिद्वार को हरद्वार कहते हैं।
और वैष्णव मत वाले यात्री जो बद्रीनाथ की यात्रा पर जाते हैं वह इसे हरिद्वार कहते हैं।
ऐसा माना जाता है कि रामायण काल से पूर्व यहां कपिल मुनि का आश्रम था।
प्राचीन इतिहासकारों के अनुसार हरिद्वार के क्षेत्र का वन खांडव वन के नाम से प्रसिद्ध था जिसमें पांडवों अपने अज्ञातवास के दौरान चुप कर रहे थे।
विदुर ने मैत्री ऋषि को महाभारत कथा हरिद्वार में ही सुनाई थी ।
ऐसा भी माना जाता है कि सप्तऋषि द्वारा इस स्थान पर तप करने के कारण यहां गंगा को सात धाराओं में होकर बहना पड़ा था।
आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के बड़े भाई राजा भरत हरी ने हरिद्वार पर तपस्या की थी और दो महान ग्रंथों की रचना की थी जो कि नीति शतक और वैराग्य शतक थे।
राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई की याद में यहां गंगा पर सीढ़ियों का निर्माण कराया जिसे भरत हरि की पैड़ी कहा जाता था जो कालांतर में यही हर की पैड़ी हो गया।
विक्रमादित्य ने यहां एक भवन भी बनाया था जिसका नाम डांट वाली हवेली था जो आज भी हरिद्वार के पास में स्थित है।
634 ईसवी में चीनी यात्री हेवनवांग ने हरिद्वार की यात्रा की थी उसने हरिद्वार को म यू लो तथा गंगा को महा भद्रा का है। अकबर काल के इतिहासकार अब्दुल फजल आईने अकबरी में लिखता है कि माया ही हरिद्वार के नाम से जानी जाती है।
वह यह भी बताता है कि अकबर अपनी रसोई घर में गंगाजल का इस्तेमाल करता था वह जल को हरिद्वार से बड़े बड़े बर्तनों में मंगवाया करता था।
अकबर के सेनापति मानसिंह ने हरिद्वार की हरकी पैड़ी का जीर्णोद्धार किया था आधुनिक हरिद्वार की निव मानसिंह ने रखी थी।
अंग्रेजों ने हरिद्वार महत्व को देखते हुए इसके विकास पर विशेष ध्यान दिया था।
महात्मा गांधी ने 1915 में 1927 में हरिद्वार की यात्रा की थी।
हरिद्वार के प्रमुख धार्मिक व दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं हरकी पैड़ी,ब्रह्मा कुंड, कांगड़ा मंदिर, सुभाष घाट, गऊघाट ,दक्षिणेश्वर मंदिर ,गोरखनाथ मंदिर ,चंडी देवी मंदिर ,गंगा नीलधारा ,भीमगोड़ा कुंड, महामाया देवी मंदिर, मनसा देवी मंदिर ,जयराम आश्रम, भारत माता मंदिर ,सप्त ऋषि आश्रम ,विष्णु चरण पादुका मंदिर, श्री गंगा मंदिर ,अष्ट खंबा मंदिर ,गंगाधर महादेव मंदिर ,गंगा भागीरथी मंदिर ,गायत्री मंदिर, नीलेश्वर महादेव मंदिर और श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर।
यहा कुंभ मेला 12 वर्ष बाद लगता है।